अब हिन्दी में ब्लोग करना और भी आसान
0 टिपण्णी Arun ने यह चिठ्ठा दिनांक शनिवार, अक्तूबर 27, 2007 समय 10:04 am को लिखा .
मैंने कुछ दिनों पहले मेरे एक पसंदीदा ब्लोग पर यह पढा था कि अब हम ब्लॉगर अकाउंट से ही सीधे हिन्दी में ब्लोग कर सकते हैं ...
और अब यह देखिए ... मेरा ये वाला ब्लोग मैं अपने ब्लॉगर अकाउंट से ही कर रह हूँ जो कि वाकई बहुत आसान है |
उम्मीद करता हूँ कि अब मैं हिन्दी में ज्यादा ब्लोग कर पाऊँगा |
मैंने ब्लोग का डिजाईन भी बदल दिया है , आशा है कि आपको पसंद आएगा |
और अब यह देखिए ... मेरा ये वाला ब्लोग मैं अपने ब्लॉगर अकाउंट से ही कर रह हूँ जो कि वाकई बहुत आसान है |
उम्मीद करता हूँ कि अब मैं हिन्दी में ज्यादा ब्लोग कर पाऊँगा |
मैंने ब्लोग का डिजाईन भी बदल दिया है , आशा है कि आपको पसंद आएगा |
मैने कभी अलिवदा नहीँ कहना के बारे मे यहाँ िळखा था ।
उस वक्त मुझे ये िपक्च्र बहुत पकाउ लगी थी ।
पर आज मै इस का एक गाना सुन रहा था - िमतवा - िजसके बोल और लय मुझे छू गए ।
मेरे मन ये बता दे तू, किस ओर चला हैं तू
क्या पाया नहीं तूने, क्या ढ़ूँढ़ रहा हैं तू
जो हैं अनकही, जो हैं अनसूनी, वो बात क्या हैं बता
मितवा, कहे धडकने तुझ से क्या
मितवा, ये खुद से तो ना तू छूपा
जीवन डगर में, प्रेमनगर में
आया नजर में जब से कोई हैं
तू सोचता हैं तू पूछता हैं
जिस की कमी थी क्या ये वो ही हैं, हाँ ये वो ही हैं
तू इक प्यासा और ये नदी हैं
काहे नहीं इस को तू खुल के बताए
तेरी निगाहें पा गई राहें
पर तू ये सोचे जाऊँ ना जाऊँ
ये जिंदगी जो हैं नाचती तो
क्यों बेडीयों में हैं तेरे पाँव
प्रीत की धून पर नाच ले पागल
उडता अगर हैं, तो उडने दे आँचल
काहे कोई अपने को ऐसे तरसाए
उस वक्त मुझे ये िपक्च्र बहुत पकाउ लगी थी ।
पर आज मै इस का एक गाना सुन रहा था - िमतवा - िजसके बोल और लय मुझे छू गए ।
मेरे मन ये बता दे तू, किस ओर चला हैं तू
क्या पाया नहीं तूने, क्या ढ़ूँढ़ रहा हैं तू
जो हैं अनकही, जो हैं अनसूनी, वो बात क्या हैं बता
मितवा, कहे धडकने तुझ से क्या
मितवा, ये खुद से तो ना तू छूपा
जीवन डगर में, प्रेमनगर में
आया नजर में जब से कोई हैं
तू सोचता हैं तू पूछता हैं
जिस की कमी थी क्या ये वो ही हैं, हाँ ये वो ही हैं
तू इक प्यासा और ये नदी हैं
काहे नहीं इस को तू खुल के बताए
तेरी निगाहें पा गई राहें
पर तू ये सोचे जाऊँ ना जाऊँ
ये जिंदगी जो हैं नाचती तो
क्यों बेडीयों में हैं तेरे पाँव
प्रीत की धून पर नाच ले पागल
उडता अगर हैं, तो उडने दे आँचल
काहे कोई अपने को ऐसे तरसाए
िहँदी मे टाइप करना आसान काम नही है ।
यह मेरा पहला वाक्य था और मै जानता हूँ िक मैने िकतनी मुशिकल से िलखा है ।
पर अब दो वाक्य िलखने के बाद मुझे थोङा आत्मिवश्वास आ रहा है ।
वैसे भी मै इस बलौग पे ज़्यादातर दूसरी वेबसाइट्स से नकल करके िचपकाउँगा, (कौपी पेश्ट) ।
सो जो भी हो, मेरे िहँदी बलौग पे आपका स्वागत है ।
यह मेरा पहला वाक्य था और मै जानता हूँ िक मैने िकतनी मुशिकल से िलखा है ।
पर अब दो वाक्य िलखने के बाद मुझे थोङा आत्मिवश्वास आ रहा है ।
वैसे भी मै इस बलौग पे ज़्यादातर दूसरी वेबसाइट्स से नकल करके िचपकाउँगा, (कौपी पेश्ट) ।
सो जो भी हो, मेरे िहँदी बलौग पे आपका स्वागत है ।